प्रारंभिक अध्ययन, विशेषज्ञों की टीमपर निर्णय, स्थानीय लोगों का समावेश, कार्यक्षेत्र का नियोजन, कार्य की बारीकियों का विचार, साधन सामग्री जुटाना इत्यादि में फरवरी १९८३ से नवंबर १९८५ तक का समय लगा ।

इस कालावधि में सदस्यों ने साहित्य में कहाँ क्या लिखा है, उसके नोट्स, नोट्स के आधार पर ड्रॉइंग्स, नक्षे, सरस्वती से संबंधित कथा-कहानियाँ,चुटकुले कविताएँ एकत्रित कर लिये थे ।

आर्थिक सहायता भी दान रूप में जुटानी थी । जैसे पहले ही तय किया गया था कि जन साधारण को भी इस अभियान में शामिल किया जाए, स्थानिक वृत्तपत्रों मे विज्ञापन देना तथा स्थानीय मंडलों से मिलना आवश्यक था । श्री. पिंगळे तथा डॉ. वाकणकर ने पहले विभिन्न स्थानोंपर जाकर यह प्रारंभिक भूमिका तैयार की थी ।

हिमाचल प्रदेश हरियाणा, राजस्थान गुजरात का ४००० कि मी. का प्रवासकी योजना बनायी गयी । आखिर सरस्वती शोध अभियान मंगलवार १९ नवंबर १९८५ को दिल्ली से प्रारंभ हुआ और शुक्रवार दि. २० दिसंबर १९८५ के दिन कर्णावती अहमदाबाद में समाप्त हुआ । बोट क्लब नई दिल्ली से प्रेस कॉन्फरन्स के बाद प्रारंभ अभियन यात्र प्रारंभ हुई । यात्रा किराये की दो मेटॅडार द्वारा की गयी ।

विशेषज्ञों को निम्न लिखित कार्य सौंपा गया था ।

क्र. नाम कार्य
1 डॉ. व्ही. एस. वाकणकर मार्गदर्शक, पुरातन वस्तुओंका अध्ययन, पुरातत्व शास्त्रीय सर्वेक्षण
2 श्री. एम. एन. पिंगळे मार्गदर्शक, सर्वेक्षण का सर्वोपरि व्यवस्थापन
3 डॉ. के. पी. धुरंधर भूगर्भीय व्यत्यय गडबडियाँ और अध्ययन
4 डॉ. वेदज्ञ आर्य ऐतिहासिक प्रलेखों के प्रमाणीकरण तथा संदर्भों का अध्ययन
5 डॉ. सुरेन्द्र आर्य लोककथाओं का संग्रहण
6 श्री. नारायण भाटी पुरातन वस्तुओं का तथा मिट्टी के बर्तनोंका संग्रहण
7 डॉ.भुवनेश्वर प्रसाद गुरुमैता प्रादेशिक जानकारी जुटाना,
8 श्री. गोविंदजी खेकाले प्रवास के व्हीडीओ रेकॉर्डिंग और खंडहरों के, पुरातन वस्तुओं के. भित्ती चित्रों के, मूर्तियोंके, पहाडियोंके, मिट्टी के बर्तनों केफोटो, वार्तालापों, मीटिंग्स इत्यादि के व्हीडीओ रेकॉर्डिंग्स
9 श्री. भैयाजी सहस्रबुद्धे खबरों का संकलन
10 श्री. भैयाजी कस्तुरे साहित्य संकलन और वितरण
11 डॉ. सतीशचंद्र मित्तल जनरल मार्गदर्शन और मदद

प्रवास का पूर्ण विवरण

क्र. दिनांक दिन स्थान
1 १९.११.१९८५ मंगळवार इंद्रप्रस्त से काटघर हिमाचल प्रदेश के लिए प्रस्थान
2 २०.११.१९८५ बुधवार जिला अंबाला. आदि बद्री से प्रारंभ, कपालमोचन, व्यासपुरी, युगंधरा,( जगधरी )
3 २१.११.१९८५ गुरुवार शुग, यमुनानगर,सारस्वत नगर, (मुस्तफाबाद), कुरुक्षेत्र
4 २२.११.१९८५ शुक्रवार भगवानपुरा, करुक्षेत्र, नर्कतारी, ज्योतिसार, ( सन्निहितसार, ब्रह्मासार ) ; मार्कण्डेय आश्रम, भद्रकाली, स्थानेश्वर (ठाणेश्वर),विश्वामित्र टीला, वशिष्ठ आश्रम
5 २३.११.१९८५ शनिवार पृथुदक (पोहावा) और कैथल हरियाणा ( Haryana )
6 २४.११.१९८५ रविवार कपिलायतन, (कोलायत), सुजामा, सूर्यवान, लोध्ऱ्या
7 २५.१.१९८५ सोमवार जयंतिका, (जिंद), राखी गढ
8 २६.११.१९८५ मंगलवार हंसी, जिस्सार
9 २७.११.१९८५ बुधवार हिस्सार सेमीनार
10 २८.११.१९८५ गुरुवार बीबीपुर तालाब, अग्नोदक (अगिरोहा सेमिनार उदयन्तपुरी, (फतेहाबाद), बाणवाली, सिकंदरपुर, सिरसा
11 २९.११.१९८५ शुक्रवार शैशिकम ( सिरसा ), ओदु , राजस्थान, गोगामढी, नौहर
12 ३०.११.१९८५ शनिवार नौहर
13 ०१.१२.१९८५ रविवार नौहर, सोटी और करोटी, तलवाडा, पल्लू, रावतसार, हनुमानगढ
14 ०२.१२.१९८५ सोमवार कालीबंगा, पीलीबंगा, बाणवाली, रंगमहल, सूरतगढअबूलगढ, पुगाल
15 ०३.१२.१९८५ मंगलवार छत्तरगढ, लूणाकर्णसार, दशनेख, बीकानेर,
16 ०४.१२.१९८५ बुधवार बीकानेर, कुग्गल, छत्तरगढ
17 ०५.१२.१९८५ गुरुवार नालगजमेज , धुग, पोहाई, बम, फलोदी, रामदेवरा, पोखरन
18 ०६.१२.१९८५ शुक्रवार भदारिया, जडाऊ, जैसलमेर,बेसाखी, रामकुंड. लोद्रावा
19 ०७.१२.१९८५ शनिवार आकल, देवीकोट, सारगन, गूँगा, देवकर
20 ०८.१२.१९८५ रविवार बाडमेर, किराडू,जुनाखेड
21 ०९.१२.१९८५ सोमवार बलोत्रा, पंचभद्रा, असोत्तरा, नाकोडा,सिवदा,जल्लोर,भीनमाल,
22 १०.१२.१९८५ मंगलवार जसवंतपुरा, सिरोहा, वसंतगढ, अर्बुदारण्य.आबू (गुजरात),
23 ११.१२.१९८५ बुधवार नानुकच्छ, अंबाजी
24 १२. १२.१९८५ गुरुवार अंबाजी
25 १३.१२.१९८५ शुक्रवार सिद्धपूर
26 १४.१२.१९८५ शनिवार सिद्धपूर, पाटण, कुम्बार, लोथल, नालसरोवर
27 १५.१२.१९८५ रविवार नाल सरोवर, सनावद
28 १६.१२.१९८५ सोमवार सिहोर
29 १७.१२.१९८५ मंगलवार सिहोर, राजुला, प्राची तीर्थ
30 १८.१२.१९८५ बुधवार सोमनाथ – सेमीनार, और अभियान की चरमसीमा
31 १९.१२.१९८५ गुरुवार एक समूह राजकोट की ओर और दूसरा जलाराम होते हुए कर्णावती ( अहमदाबाद ) की ओर रवाना
32 २०. १२.१९८५ शुक्रवार कर्णावती ( अहमदाबाद ) प्रवास समाप्ति.

सरस्वती नदी के सूखे पात्रों के लॅण्ड सॅट से भेजे गये चित्र हमारे लिए मानो दैविक आशीर्वाद के रूप में थे, जिससे कार्य सुलभ हुआ । चित्रों का संकलन Physical Research Laboratory के डॉ. यशपाल, डॉ. बलदेव सहाय, डॉ. आर के सूदके ऑफिस में डॉ. डी पी अग्रवाल के मार्गदर्शन में किया गया । Arid Zone Research Institute का योगदान भी बहुत मूल्यवान रहा ।

शोधकर्ताओं के रिपोर्टके आधार पर निम्नलिखित मुद्दे विचारार्थ प्रस्तुत किये गये ।

  1. सतलज नदी सरस्वती की मुख्य पोषक नदी – घग्गर
  2. बादमें सतलज पश्चिम की ओर मुडी और उसी समय घग्गर सूख गयी ।
  3. उसी तरह ब्यास ( व्यास अथवा शतद्रु ) रोपड की तरफ मुडी और सरस्वती को पानी कम पडने लगा ।
  4. पहले ब्यास कभी सतलज से नहीं मिली, वह सीधे सिंधु नदी में मिलती थी ।
  5. इस प्रकार सरस्वती और सतलज सिंधु नदी से पूर्व में समांतर बहते हुए कच्छ में अरब सागर में मिलती थी ।

लॅण्ड सॅट चित्र :

  1. घग्गर जहाँ से मैदानी इलाक़े में पंजाब में आयी मरोटसे पाकिस्तान में बहने लगी तब उसका पात्र ६ से ८ कि. मी. चौडा था ।
  2. वर्तमान का Y – 2 सूखा पट्टा पहले चौतांग नदी थी, जो घग्गर की पोषक थी जो सूरतगढ के पास मिली ।
  3. अनूपगढ के पास पुरानी सरस्वती दो शाखाओं में द्विभाजित हुई – एक एक मरोट की तरफ बहने लगी और दूसरी शाखा बैरिण की ओर ।

डॉ. बिमल घोष,डॉ.करतथा डॉ. हुसैनके अनुसार सरस्वती नदी सिंधु नदी से पूर्व राजस्थान में सेबहती थी ।

उन्हों ने आगे कहा कि सरस्वती नदी हिस्सार के पूर्व मेंचौतांग नदी के सूखे पात्र से जाखल होते हुए बही होगी या नोहार होते हुए लूनी नदी में से बही होगी ।

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