पुरानी मुद्राएँ पुराविद् वस्तुएँ होती है । जो पुरातन काल का बहुत अच्छा दर्शन कराती हैं ।

वे तत्कालीन राजाओं के बारे में, भाषाओं के बारे में तत्कालीन प्रचलित या कार्यलयीन लिपी के बारे में बहुत कुछ जानकारी देती है । वे राजाओं के वंशवृक्ष, उनका राजाओं की या राज्यकर्ता की श्रेणी में स्थान आदि की जानकारी देती हैं । धातुओं उपयोग तथा– सिक्कों की प्रचुरता तत्कालीन राजाओं की और राज्योंकी आर्थिक शक्ति की कल्पना देती हैं ।

भारत के अतिशय पुराने सिक्कों के संदर्भ में, सिक्के बनाने की कला के संदर्भ में कतिपय विचार हैं ।

विशेषज्ञों कामानना है कि भारत में सिक्कों का बनना ईसा पूर्व के १००० वर्षोमें प्रारंभ हुआ कहते हैं । सबसे पुराने सिक्कोपर ग्रीक मुद्राओं का असर दिखता है ।यह सिक्कों पर दिखनेवाले ग्रीक अक्षरों से स्पष्ट होता है । बाद में खरोष्टी और बाद में ब्राह्मी अक्षर दिखते हैं ।

अभी अभी लुप्त द्वारका में मिली पत्थर की आहत (punch marked) मुद्राओं ने भारत के सिक्कों का इतिहास ५००० वर्ष पहलेतक खीं लिया । इसपर अधिक अध्ययन होना आवश्यक है और उसकी प्रसिद्धी होनी चाहिए ताकि भारतीय मुद्राओं के बाबत जनसाधारण की विचारधारा अपना मार्ग बदलेगी ।

इतनी बडी मात्र में मुद्रओं की उपलब्धता यह दर्शाती है कि मौर्य साम्राज्य ( ३२२ – १८५ वर्ष ईसा पू.) के पहले से भारत में सिक्के ढाले जाते थे । रेडिय़ो कार्बन डेटिंग से पता लगता है कि कुछ मुद्राएँ तो ईसापूर्व ५ शतक पहले की हैं ।

मुद्राएँ आहत पद्धतीसे ( ‘Punch’ marked ) या ढलाई पद्धती से बनती थीं ।

भारत के बहुतांश पुराने सिक्कों में सोना, चांदी, तांबा, पीतल और पोटिन ( इसे बिलोन भी कहते हैं जो कांसा कथील और सीसा से बनी मिश्रधातु है ) ।

मुद्राओं के आखार चौकोर, गोल, अंदाकृति या अनियमित भी होते थे । कई मुद्राएँ घिसी अवस्थामें, टूटी हुई हैं.कुछ तो नैसर्गिक क्षरण के कारण खराब हो गयी हैं ।

भारतीय पुरातन मुद्राओं की सीधी बाजू पर राजाओं या देवी देवताओं के आवक्ष चित्र हैं । उससे मुद्राओं को पहचानना आसान होता है । देवी देवताओंवाली मुद्राएँ हिन्दु संस्कृती को दर्शाती हैं , (जैसे कर्तिकेय, लक्ष्मी, विष्णु आदि ). भारतीय पद्धति की मुद्राओं में एक विशेषता है जो राजाओंकी बहुत मुद्राओं में हैं कि वह अमुक का पुत्र यह भी लिख होता है ।उससे वंश निर्धारण मे आसानी होती है । मुद्रा की दूसरी ओर उस राजा की कुल मुद्रोओं की संख्या लिखी होती और राज्य का प्रतीक होता है।

(जैसे- उज्जैन प्रतीक, चक्र – धर्मचक्र, पर्वत पहाडियाँ ,लहराती रेखाएँ, बिन्दुओं से बना वृत्तक, शंख, वज्र, तीर इ. ) या प्राणि ( जैसे- घोडा, हाथी, सांड, सिंह इत्यादि ), या पक्षी (जैसे गरुड, मोर इत्यदि ) , या पौधे, अथवा सूर्य चन्द्र इत्यादि . मुद्रा की दूसरी बाजू का मुद्राओं का राजाओं के अनुसार वर्गीकरण करने हेतु योग किया जा सकता है ।

पद्म श्री विष्णू श्रीधर वाकणकर ने अपने दीर्घ कार्यकाल में बहुत मुद्राओं का संग्रह किया । श्री. ने श्री.वाकणकर को बहुत मुद्राएँ भेट की । अब उज्जैन में श्री. वाकणकर जी के पास भारतभर के विभिन्न राजों के और राजघरानों की मुद्राएँ हैं ।डॉ. जे. एन. दुबे तथा भगवतीलाल राजपुरोहित ने उन्हें पहचान कर वर्गीकृत किया और उन्हें सूचिबद्ध किया ।

दुबेजी के अथक प्रयत्नों से हम यह पृष्ट तैयार कर लाँच कर रहे हैं उनके हम हमेशा हमेशा के लिए ऋणी रहेंगे । इस साइट के माध्यम से उज्जैन में वाकणकरजी के पास जो सिक्के हैं वाचकों को विभिन्न राजघरानों ,राजवंशो से पहचान हो सके ।

निम्न लिखित पृष्ठों में विशाल संग्रह की झांकी चुनींदा सिक्कोंके चित्रों से दी गयी है ।

कुल प्राप्त सिक्के > ५१००
सवसे पहला सिक्का > २०१ ईसा पूर्व
आखरी सिक्का > १९९४

मुद्राओं का संग्रह :

क्र. कुल सिक्के वंश राजा / प्रकार/ प्रतीक लगभग काल
१. ९० क्षहस्र, पश्चिमी सक क्षत्रप , आन्ध्र सतवाहन भूमक, नहापना, दमदाजश्री, वर्धमान, विजयसेन, रुद्रसेन, विश्वसिंहास, भर्तृदमन, रुद्रसेन, रुद्रसिंह, दमसेन, गौतमीपुत्र दमसेन, विजय शतकर्णी पुलुमवी, १-३४८ ई.स.
२. ७९ गुप्त, मैत्रक स्कंधगुप्त, रामगुप्त ४ था शतक
३. १४७ उज्जैन शहर राज्य, मित्र, यौधेय, कालचौरी, चाहमना, कुनिन्दा, कुशान, ग्रीक, दक्षिण भारत, होलकर, चोला राठीमदान, जिस्नु, रुद्रिला कृष्णराजा, तमा, अजय, राजादेव २ रा शतक ई पू.
४-५ १४५ नाग वृश नाग, स्कंद नाग, वासु नाग, बृहस्पति नाग, विभू नाग, रवी नाग, भाव नाग, प्रभाकर नाग देवेन्द्र नाग, गणपति नाग, महाराजश्री २-४था शतक ई.स.
६. ११५ ग्वालियर राज्य, होलकर राज्य माधवराव शिंदे, जिवाजीराव शिंदे, संजीवराव, यशवंतराव होलकर १८९६ ई.स.
७. ५८ भवालपुर राज्य, जयपूर राज्य , कच्छ राज्य, सौरथ, रतलाम राज्य, उदयपूर राज्य, वडोदरा राज्य, राम दरबार, धार राज्य अल हज सदूक, महम्मद व्ही अब्बासी, सवाई मानसिंह II, इस्माइल अली खान, प्रागमालजी II, खेराजी II, विजयराजजी, मदनसिंह जी, रणजीतसिंह, सयाजीराव गायकवाड ५५६ ई.पू से १९४७
८. ८६ ब्रिटिश ईस्ट इम्डिया कंपनी, राणी व्हिक्टोरिया, व्हिक्टोरिया एम्प्रेस १८३५ – १९०१
९. १६७ ब्रिटिश एडवर्ड VII, जॉर्ज V एम्परर, जॉर्ज VI १९०४ – १९४७
१०. ६४ ब्रिटिश, फ्रान्स, ग्रीस, नेपाल, नीदरलाण्द, डॉइचलण्ड, डेनमार्क, स्पेन व्हिक्टोरिया, जॉर्जीव्स III, जॉर्जीव्स V, जॉर्जीव्स VI, व्हिक्टोरिया II, गुस्ताव VI, महेन्द वीर, विक्रमशहा देव १७९० – १९९४
११. ७४ पूर्व आफ्रिका, मेक्सिको, पोर्तुगाल, इटली, केनया, ताझानिया, पाकिस्तान १८८२-१९८४
१२. ५० ConfideratioHelevetica, हेलवेटिया, ओस्टराइश, यू एस ए
१३. २२ गढिया
१४. १२३ अलग अलग भारतीय राज्य
१५. २३१ उर्दू परशियन गाथाएँ ?
१६. २३९ Gujarat, Jaipur मुहम्मद तुघलक, बल्बन, महम्मद खिलजी, नसीरुद्दीन खिलजी
१७.
१८. १६० Independent India १९४७ – १९८९
१९. ७० सूर्य, सेड्यूसस
२०. ४४१ सांड, मछली, मानव, सिंह, सूर्य
२१. ४८२ उज्जैन प्रतीक, सेड्युसस, सूर्य, मानल, शादरचक्र, मकर, मछली, वृक्ष-in-railing, सांड, पहाडी, हाथी, ध्वजदण्ड
२२. २७७ वृक्ष-in-railing, मछलियाँ, कच्छप, शादरचक्र , ध्वजदण्ड, उज्जैन प्रतीक, पहाडीtd>
२३. २६८ देवता- शिव , सर्पफणी, उमा -महेश्वर, गजाभिषेका लक्ष्मी, लक्ष्मी
२४. १९७ हाथी, हाथी-स्वार
२५. १५७ हाथी
२६. ३१० शादरचक्र, दण्ड, मकर, मानव, मेंडक, बाणाग्र
२७. १५६ सिंह, घोडा, सांड, कच्छप, मेंडक, मोर
२८. ३८ कमल, मकर
२९. ७४ हाथी, घोडा, सूर्य, सांड, वृक्ष, मछली, वृक्ष-in-railing, कच्छप
३० ८७४ अस्पष्ट, पढा नहीं जा सकता, पहचाना नहीं जा सकता, चित्रित नहीं है, बहुतांश छोटे सिक्के
कुल ५१४४      

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